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अलीराजपुर – जोबट की बेटी साक्षी भयडीया की कला की झलक ,  आदि महोत्सव 2025 में माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू की तस्वीर बनाकर की भेंट ।

संपादक नयन टवली की कलम से ✍️

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अलीराजपुर – भारत के माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 16 से 24 फरवरी 2025 तक आयोजित होने वाले ‘आदि महोत्सव-2025′ का उद्घाटन मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम , नई दिल्ली में किया। यह महोत्सव भारत की समृद्ध जनजातीय विरासत , संस्कृति , कला , शिल्प , व्यंजन और वाणिज्य का जश्न मनाने का एक अनूठा अवसर है , इस महोत्सव में देशभर से आदिवासी कलाकारों और कारीगरों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया , आदिवासी कार्य मंत्रालय (TRIFET) द्वारा आयोजित इस जीवंत उत्सव में 30 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कलाकारों ने भाग लिया और अपनी पारंपरिक कलाओं का प्रदर्शन किया। इस दौरान, 600 से अधिक आदिवासी कलाकारों ने 500 प्रदर्शनी स्टॉल्स लगाए, जबकि 25 खाद्य स्टॉल्स पर आदिवासी व्यंजनों का स्वाद लिया गया। इस आयोजन में श्रीलंका और इंडोनेशिया के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुए , इस महोत्सव के दौरान, मध्य प्रदेश के आलीराजपुर जिले के जोबट की साक्षी लक्ष्मणसिंह भयडीया ने अपनी कला से सभी का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पिथौरा चित्रकला को प्रदर्शित किया, जो एक अद्वितीय आदिवासी कला शैली है। विशेष रूप से, साक्षी ने एक पीपल के पत्ते पर माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू की तस्वीर बनाई , जिसे राष्ट्रपति महोदया को भेंट करने का अवसर मिला। इस चित्र को बनाने में साक्षी को दो दिन का समय लगा और उन्होंने इसे लाइव प्रदर्शन के रूप में प्रदर्शित किया , साक्षी की मेहनत और कला को देखकर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने उनकी सराहना की और इस तरह की कला को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया। साक्षी का कहना है कि इस महोत्सव ने आदिवासी कला और संस्कृति को सही मंच प्रदान किया है, जिससे वे आधुनिक उपभोक्ताओं तक पहुंच सकते हैं और अपनी कला को बढ़ावा दे सकते हैं , आदि महोत्सव 2025’ में देशभर के आदिवासी समुदायों के उत्पादों को बढ़ावा देने और उन्हें नए बाजारों से जोड़ने का उद्देश्य है, ताकि उनके कामकाजी जीवन में सुधार हो सके और उनकी कला को व्यापक पहचान मिल सके , इस महोत्सव में 20 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) के साथ सहयोग और 25 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, जो आदिवासी समुदायों के विकास में सहायक होंगे , साक्षी के इस प्रयास को देखते हुए यह स्पष्ट है कि आदिवासी कला और संस्कृति को बढ़ावा देने में इस तरह के आयोजनों का बहुत बड़ा योगदान है, और साक्षी जैसी युवा कलाकारों की मेहनत को सराहना मिलनी चाहिए ।

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