संपादक नयन टवली की कलम से ✍️

अलीराजपुर – तो भैया आज फिर नानपुर मे एक बंगाली झोलाछाप डॉक्टर के फर्जी इलाज ने एक आदिवासी भाई की जान ले ली , सवाल यह है की इतनी सारी घटना होने के बाद भी कड़ा ऐक्शन क्यों नहीं होता , क्या इंसान की जान की कोई क़ीमत नहीं , अब तो जिले के सबसे बड़े सहाब आपको कड़े कदम उठाने पडेगे क्योंकि यह स्वास्थ विभाग मे बैठा हरे हरे लेकर सुन…मेरे हरे कर रहा है… विगत कुछ दिनों मे जवाबदार स्वास्थ विभाग सिर्फ दिखावे की कार्यवाही करता नजर आया , जिसे कहते है इतिश्री कार्यवाही , शिकायत मिले तो क्लिनिक पर जाना उसे सील करना दवाईया एवं स्वास्थ सामग्री जप्त करना और फिर हरे हरे.. लेने वाला सुन…..मेरे हरे उन्हें फिर किसी बेकसूर की जान लेने के लिए छोड़ देता है , जिले के सबसे बड़े सहाब अब आपको कडे कदम उठाने पडेगे , आप के निर्देश पर कार्यवाही हो रही है पर यह हरे हरे.. अनपढ़ बिना डिग्री झोलाछापो को जान से खेलने के लिए छोड़ देता है , कार्यवाही के नाम सिर्फ दिखावा किया जा रहा है , फर्जी बंगाली डॉक्टरो पर एफआईआर क्यों नहीं होती , क्योंकि यह हरे हरे लेने वाला… सुन मेरे ……हरे आपतक सही प्रतिवेदन नहीं भेजता , क्योंकि इस लक्ष्मी यंत्र के भूखे का एक ही काम है ” अपना काम बनता…भले मरे जनता…” सबसे बड़े सहाब इन झोलाछापो पर कार्यवाही के साथ साथ इनका सत्यापन और इनके डोयुमेंट भी चेक करना आवश्यक है.. क्योंकि बंगाल मे ज़ब बगलादेशी घुस पेटीये घुस सकते है तो क्या यह सभी बंगाली झोलाछाप भारत के ही है इसकी भी जांच करना आवश्यक है… सहाब मरता एक व्यक्ति नहीं उसका पूरा परिवार भी जीते जी मरता है…कोई घर का जवाबदार जो घर चलाता हो.. उसके माँ बाप उसके बच्चे उसकी पत्नी सहित कई जवाबदारिया भी उसी के साथ मर जाती है… इंसान की जान इतनी सस्ती नहीं की इन जैसे बंगालीयों को लेने दी जाए…।